जब नरेंद्र मोदी ने प्रधान मंत्री का पद संभाला, तो भारत में 27 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक थे। हालाँकि, 2017 में विलय की एक श्रृंखला ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या को घटाकर 12 कर दिया। वर्तमान में, भारत में 12 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक हैं। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार इन बैंकों की बिक्री शुरू करने की योजना बना रही है. सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है।
सवाल उठता है कि सरकार बैंकों को बेचने का यह रास्ता क्यों अपना रही है? इन बैंकों में अपना स्वामित्व बांटने का सरकार का तर्क आश्चर्यचकित करने वाला हो सकता है। यह रिपोर्ट इस बात की जानकारी देती है कि कौन से सरकारी स्वामित्व वाले बैंक बेचे जाने की प्रक्रिया में हैं, कौन से बने रहेंगे, और विनिवेश के लिए सरकार की व्यापक रणनीति क्या है।
केंद्र सरकार बैंकों को क्यों बेचना चाहती है?
केंद्र सरकार भारतीय रिजर्व बैंक के साथ मिलकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण करके भारत की बैंकिंग प्रणाली को बढ़ाने के लिए कदम उठा रही है। उनके आकलन के अनुसार, निजीकरण देश के बैंकिंग क्षेत्र में सुधार की कुंजी है। 2021 में केंद्र सरकार ने सरकारी स्वामित्व वाले बैंकों की बिक्री से 1.75 लाख करोड़ रुपये का अच्छा-खासा मुनाफा कमाया। इस सफलता से उत्साहित होकर, सरकार एक बार फिर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के माध्यम से देश की बैंकिंग प्रणाली और इसके समग्र आर्थिक स्वास्थ्य को पुनर्जीवित करने का लक्ष्य लेकर चल रही है।
हालाँकि बैंक निजीकरण की प्रक्रिया गति में है, लेकिन मुख्य रूप से लंबित बैंक निजीकरण विधेयक के कारण यह 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले पूरी नहीं हो सकती है।
कौन से बैंक बेचे जाएंगे?
अब तक, भारत में 12 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक हैं, और केंद्र सरकार इनमें से 8 बैंकों की बिक्री पर विचार कर रही है:
- बैंक ऑफ बड़ौदा
- बैंक ऑफ महाराष्ट्र
- सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया
- यूको बैंक
- पंजाब एंड सिंध बैंक
- इंडियन ओवरसीज बैंक
- केनरा बैंक
- यूनियन बैंक (Union Bank of India)
आख़िर कौन से बैंक बचेंगे?
केंद्र सरकार की घोषणा के अनुसार, 12 सरकारी बैंकों में से केवल चार सरकारी स्वामित्व वाले बैंकों के रूप में अपनी स्थिति बरकरार रखेंगे। ये चार बैंक हैं:
- स्टेट बैंक (State Bank of India)
- पंजाब नेशनल बैंक
- इंडियन बैंक
- बैंक ऑफ इंडिया
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने इस बात पर जोर दिया है कि ये चारों बैंक देश की आर्थिक व्यवस्था में अहम भूमिका निभाते रहेंगे.